कुछ अनकहा
एक सामान्य इंसान भागता है रिश्तों के लिए... अपनों के लिए... एक अच्छे भविष्य के लिए...। ऐसा होता है कि अगर अच्छा भविष्य न भी हो (यहां न होने से मेरा तातपर्य है कि अगर कोई अच्छी बड़ी नौकरी न होकर एक छोटी नौकरी भी हो) तो इससे काम चल जाता है मगर अगर सब कुछ होते हुए भी अच्छे रिश्ते न रहें तो आदमी फिर आदमी नही रह जाता है। कोई आखिर कब तक रिश्तों के पीछे भागे? ऐसे ही भागते रहने के बाद एक समय ऐसा आता है जब इंसान इन सब रिश्तों से दूर भागने लगता है। स्थायित्व की ख़ोज में जाना चाहता है वह। मेरे जीवन का अनुभव कहता है कि बहुत सी बाते ऐसी होती हैं जो कभी कही नहीं जाती। वे बातें हमेशा भीतर ही रह जाती हैं। और कोई इंसान घुटता रहता है अंदर ही अंदर। एक ऐसे शख्श के बारे में मैं जानता हूँ। कभी 2008 का कोई महीना... एक दफा कॉलेज में इलेक्ट्रोमेग्नेटिज्म की क्लास के बाद सब छात्र लोग चर्चा कर रहे थे तो एक ने उससे पूछा था कि आगे पोस्टग्रेजुएट के बाद क्या करोगे? वह इस सवाल से थोड़ा घबरा गया था। जरूरी है क्या के जो वह लड़का उस वक्त चाहता था वह उसे आने वाले वक्त में मिल ही जाता ? उसने कोई जवाब नही दिया। औरों ने